बुधवार, अप्रैल 23, 2014

जो तेरे साथ बीती जिन्दगी वही थी |

       
       प्यार भरे दिलों में दीवार उठी थी
       दूर हो गए हम, कैसी हवा चली थी |

       एक मोड़ पर आकर हाथ छूट गया
       भरी दोपहर में फिर शाम ढली थी |

       महफिल में आया जब भी नाम तेरा
       सीने में तब एक कसक उठी थी |

       हर बीता दिन गहरे जख्म दे गया
       दम तोडती रही जो आस बची थी |

       दिन तो अब भी कट रहे हैं किसी तरह
       जो तेरे साथ बीती जिन्दगी वही थी |

       बस यही सोचकर खुश हो रहे हैं हम
       जुदा होकर ' विर्क ' मिली तुझे ख़ुशी थी |

                              ******

4 टिप्‍पणियां:

Kailash Sharma ने कहा…

दिन तो अब भी कट रहे हैं किसी तरह
जो तेरे साथ बीती जिन्दगी वही थी |
...वाह...लाज़वाब ग़ज़ल..

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

वाह वाह ....बहुत खूब

रश्मि शर्मा ने कहा…

Bahut khoob gajal

prritiy----sneh ने कहा…

bahut achha likha hai

shubhkamnayen

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