tag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post2890804093191333189..comments2023-10-17T20:27:18.757+05:30Comments on Sahitya Surbhi: दोस्तों के हाथ में खंजर मिलादिलबागसिंह विर्कhttp://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-27562559635363909282015-04-17T11:02:40.451+05:302015-04-17T11:02:40.451+05:30सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,.आपका ब्लॉग देखा मैने ...सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,.आपका ब्लॉग देखा मैने कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18391630430260559342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-82278859836006702002015-04-17T11:02:31.243+05:302015-04-17T11:02:31.243+05:30सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,.आपका ब्लॉग देखा मैने ...सुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,.आपका ब्लॉग देखा मैने कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18391630430260559342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-46211576732639573172015-04-16T20:01:15.163+05:302015-04-16T20:01:15.163+05:30वाह बहुत खूबसूरत गजल।वाह बहुत खूबसूरत गजल।Malhotra vimmihttps://www.blogger.com/profile/09396958735846040776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-66290857609715346362015-04-16T19:52:30.273+05:302015-04-16T19:52:30.273+05:30यूँ तो की है तरक्की मेरे मुल्क ने बहुत
मगर सोच मे...यूँ तो की है तरक्की मेरे मुल्क ने बहुत <br />मगर सोच में डूबा हर गाँव, हर शहर मिला । <br />..बहुत खूब!..<br />बहुत बढ़िया गजल कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-13548509748616347012015-04-16T19:52:29.610+05:302015-04-16T19:52:29.610+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-80272359492692016312015-04-16T15:37:05.515+05:302015-04-16T15:37:05.515+05:30किसी मंज़िल पर पहुँचना नसीब में न था
और चलने को &#...किसी मंज़िल पर पहुँचना नसीब में न था <br />और चलने को 'विर्क' रोज़ नया सफ़र मिला । <br />...वाह..बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.com