tag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post6602671453635654180..comments2023-10-17T20:27:18.757+05:30Comments on Sahitya Surbhi: कुछ हम बुरे, कुछ तुम बुरेदिलबागसिंह विर्कhttp://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-80206942739585862152016-11-04T21:44:50.530+05:302016-11-04T21:44:50.530+05:30 दुश्मनों की फेहरिस्त में लिख लिया मेरा नाम
इसलिए... दुश्मनों की फेहरिस्त में लिख लिया मेरा नाम <br />इसलिए अब लगे उनको मेरा मुस्कराना बुरा | <br />बहुत ख़ूब<br /> http://savanxxx.blogspot.inAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16758905606510875826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-61733416002766618012016-10-28T14:57:17.457+05:302016-10-28T14:57:17.457+05:30वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
मंगलम...वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति<br /><br />मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार<br />जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार<br />ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार<br />लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-89932935500561882482016-10-27T21:57:08.120+05:302016-10-27T21:57:08.120+05:30कुछ हम बुरे, कुछ तुम बुरे, कुछ यह जमाना बुरा
शायद...कुछ हम बुरे, कुछ तुम बुरे, कुछ यह जमाना बुरा <br />शायद इसीलिए है यहाँ पर दिल लगाना बुरा | <br />...वाह...बहुत सुन्दर Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-83864441309624190052016-10-27T15:39:39.662+05:302016-10-27T15:39:39.662+05:30आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्र...आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-10-2016) के चर्चा मंच <a href="http://charchamanch.blogspot.com/" rel="nofollow"> "ये माटी के दीप" {चर्चा अंक- 2509} </a> पर भी होगी!<br />दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3127805122051241213.post-48179832332022619432016-10-27T11:09:43.248+05:302016-10-27T11:09:43.248+05:30दुश्मन समझ लिया उन्होंने तो काहे का दिल लगाना ...
...दुश्मन समझ लिया उन्होंने तो काहे का दिल लगाना ...<br />अच्छी ग़ज़ल है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com