शुक्रवार, अप्रैल 20, 2012

सहारा तिनके-सा ( हाइकु )

बनना तुम
सहारा तिनके-सा
धूप सर्दी की ।
जवाब मांगो 
हमारे वोटों से ही
मिली है सत्ता ।
सोचते नहीं
लकीर को पीटते
लोग अक्सर ।
बमों से कभी
फैसले नहीं होते
विनाश होता ।

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8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी प्रविष्ठी की चर्चा कल के चर्चा मच पर लगा दी है!

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  2. बहुत से सवालों को हल करते हुए ख़ुद सवाल खड़ा करती हुई बेहतरीन तख़लीक़.

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  3. घटिया राजा
    दुखियारी है प्रजा
    भारत रोता.


    सार्थक हायेकु सर.

    सादर.

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  4. बहुत अच्छी बातें समाहित की है आपने इन हाइकुओं में।

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  5. सोचते नहीँ
    लकीर को पीटते
    लोग अक्सर ।
    .... बहुत बढ़िया , धन्यवाद ।

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यहाँ तक पहुंचने के लिए आभार | आपके शब्द मेरे लिए बहुमूल्य हैं | - दिलबाग विर्क