मुहब्बत के ज़ख़्मों का, पूछो न हिसाब मुझसे
रुक न पाएगा, फिर यादों का सैलाब मुझसे ।
पहले छीना था हमसे, प्यार जिस ज़ालिम ने
वो सितमगर, अब छीन रहा है शराब मुझसे ।
नक़ाबपोशी है बुरी, मानता हूँ मैं इसे, मगर
उतारा न गया, ख़ामोशियों का नक़ाब मुझसे ।
जिस दिन हुआ, फ़ैसला मेरी क़िस्मत का
उस दिन पूछे थे उसने, सवाल बेहिसाब मुझसे
बेवफ़ा हूँ मैं, ये सारी दुनिया कहती है
दिया न गया, कोई मुनासिब जवाब मुझसे ।
अँधेरे को समझना होगा नसीब अपना
नाराज़ है 'विर्क', प्यार का आफ़ताब मुझसे ।
दिलबागसिंह विर्क
27 टिप्पणियां:
ओह ! कैसी बेबसी
वाह
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ सितंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाहः -- अद्धभुत लेखन
पहले छीना था हमसे, प्यार जिस ज़ालिम ने
वो सितमगर, अब छीन रहा है शराब मुझसे । - बिहारियों की दुखती रग पर हाथ रख दी आपने {बिहार में शराबबंदी है :)}.
नक़ाबपोशी है बुरी, मानता हूँ मैं इसे, मगर
उतारा न गया, ख़ामोशियों का नक़ाब मुझसे ।- आज तो नक़ाबपोशी भी अच्छी बन गयी है, मास्क बन के :).. शायद ...
उम्दा !
नक़ाबपोशी है बुरी, मानता हूँ मैं इसे, मगर
उतारा न गया, ख़ामोशियों का नक़ाब मुझसे । नमन सह।
वाह !बेहतरीन सर
वाह!!!
लाजवाब...।
वाह !!!
उम्दा ग़ज़ल ...
सादर नमस्कार,
आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 09-10-2020) को "मन आज उदास है" (चर्चा अंक-3849) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
कैसी विवशता है!
बहुत बढ़िया
बहुत खूब
उम्दा और बेहद लाजवाब।
लाजबाब।
वाह बहुत सुंदर।
प्रभावशाली लेखन - - नमन सह।
शानदार ग़ज़ल
वाह!!!!!!
क्या बात!
सुन्दर।
सादर।
बहुत सुंदर।
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (०९-०३-२०२१) को 'मील का पत्थर ' (चर्चा अंक- ४,००० ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
शानदार सृजन उत्तम भाव।
कल रथ यात्रा के दिन " पाँच लिंकों का आनंद " ब्लॉग का जन्मदिन है । आपसे अनुरोध है कि इस उत्सव में शामिल हो कृतार्थ करें ।
आपकी लिखी कोई रचना सोमवार 12 जुलाई 2021 को साझा की गई है ,
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
Hindi Story
meri baate
Bhoot Ki kahani
Akabar Birbal
MPPSC
Nice sahitya surabhi
जगण्या मरण्यातील अंतर
त्याच्या तिच्यातलं मध्यांतर
ध्येय वाटेलतला विसावा..
उमलून येणारा उसासा
पहाटवेळेच सुंदर रहस्य
कातरवेळी फुलणारं हास्य
अद्वैताच्या वाटेचा शोध
अनुभवानंतर होणारा बोध
पावसानंतरचा रंगीन इंद्रधनुष्य
कधी गुरु तर कधी निरागस शिष्य
कधी अनाहत् होणारा एक भास
please visit my site / https://krushnasahity.in/kavita-marathi/
बहुत सुन्दर ।
एक टिप्पणी भेजें