शुक्रवार, जुलाई 15, 2011

तांका - 1

             छाए बदरा
               नाच उठा मयूर 
               कर रहा है 
               स्वागत बरखा का 
               हंसी-ख़ुशी के साथ 

      
               ऋतु बदली 
               आ गया है सावन 
               घटाएँ छाई 
               होने लगी बरखा 
               प्रकृति मुस्कराई  

      
               लू हुई शांत 
               मिटी धरा की प्यास 
               झूमी प्रकृति 
               बरखा ऋतु आई 
               ढेरों खुशियाँ लाई . 

                    * * * * *

10 टिप्‍पणियां:

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

चित्र और शब्द-चित्र मौसम के अनुरूप.फुहरों सी प्यारी क्षणिकायें.

मो. कमरूद्दीन शेख ( QAMAR JAUNPURI ) ने कहा…

sundar bhav hain. aise hi khushiyan apke jeevan men bhi barasati rahen.

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

आई बरखा

झूमा मयूर

नाच उठा ..

मन मतवाला .....

देख ये काली काली

घटा सावन की ......अनु

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

सुन्दर रचना ....
हर बंद खूबसूरत .........
मनभावनी वर्षा ऋतु का सजीव चित्रण .......चित्रों का संयोजन अति सुन्दर

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

शब्दों का चित्रों के साथ गहरा तादात्य...बधाई

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

३१ अक्षरों वाली इस जापानी विधा का और प्रचार होना चहिए। हाइकु तो हिंदी में जगह बना ही चुकी है।

prerna argal ने कहा…

bahut badiyaa sawan aur warish ke liye pyaara bhav liye anoothi rachanaa.badhaai aapko.





please visit my blog.thanks.

Maheshwari kaneri ने कहा…

मनभावनी वर्षा ऋतु का सजीव चित्रण .......चित्रों का संयोजन अति सुन्दर...

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर भीगी-भीगी-सी भावाभिव्यक्ति....

vidhya ने कहा…

बहुत सुन्दर
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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