बुधवार, अप्रैल 29, 2015

हर शख़्स हो गुनहगार

अहमियत नहीं रखते पतझड़, बारिश और बहार 
गर दिल ख़ुश हो तो लगता हर मौसम ख़ुशगवार । 

छलकती आँखें, रोता दिल जाने क्या कहना चाहे 
शायद इन्हें पता न था, किस शै का नाम है प्यार । 

दिल को बेसबब परेशां देखकर सोचता हूँ मैं 
तुम्हीं तो नहीं हो, दिल में मची हलचल के जिम्मेदार । 

तुझसे दूरियाँ किसी क़यामत से कम नहीं लगती 
हर लम्हा आफ़त, हर लम्हा करे दिल बेकरार । 

समझे नहीं, जाने वाले की भी मज़बूरी होगी 
जब भी आई है याद मुझे, तड़पा है दिल हर बार । 

नफ़रतों की इस दुनिया में मुहब्बत करना गुनाह 
ख़ुदा करे ' विर्क ' दुनिया का हर शख़्स हो गुनहगार । 

दिलबाग विर्क 
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मेरे और कृष्ण कायत जी द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " में से मेरी एक ग़ज़लनुमा कविता 

5 टिप्‍पणियां:

Malhotra vimmi ने कहा…

बहुत खूबसूरत जज्बात

mohan intzaar ने कहा…

वाह सुंदर प्रस्तुति ..
अहमियत नहीं रखते पतझड़, बारिश और बहार
गर दिल ख़ुश हो तो लगता हर मौसम ख़ुशगवार ।

बधाई ....सादर

Kailash Sharma ने कहा…

नफ़रतों की इस दुनिया में मुहब्बत करना गुनाह
ख़ुदा करे ' विर्क ' दुनिया का हर शख़्स हो गुनहगार ।
...वाह..बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..

शारदा अरोरा ने कहा…

bahut khub ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

हर शेर बहत ही लाजवाब है ... दिली दाद कबूल करें ...

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