बुधवार, दिसंबर 11, 2019

ख़ुदा हो जाते हैं लोग

भूलकर औक़ात, क्या से क्या हो जाते हैं लोग 
थोड़ी-सी ताक़त पाकर ख़ुदा हो जाते हैं लोग। 

तमन्ना रखते हैं, कि उम्र भर निभती रहे दोस्ती
छोटी-सी बात को लेकर खफ़ा हो जाते हैं लोग। 

मुहब्बत को गालियाँ देकर, रोते हैं बाद में 
बस हसीं चेहरे देखकर फ़िदा हो जाते हैं लोग। 

यूँ तो सब किया करते हैं बातें वफ़ा की मगर 
मौक़ा मिलते ही अक्सर बेवफ़ा हो जाते हैं लोग। 

ख़ुशियाँ पाने की बेचैनियाँ हैं दिल में इस क़द्र 
उम्र भर के लिए ख़ुशी से जुदा हो जाते हैं लोग। 

तेरे जैसा ही हाल है ‘विर्क’ सबका यहाँ पर
फिर पछताते हैं, जब रुसवा हो जाते हैं लोग। 

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दिलबागसिंह विर्क 
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11 टिप्‍पणियां:

Anita Laguri "Anu" ने कहा…

.. बहुत कुछ हो जाते हैं लोग बहुत ही सार्थक और सुंदर पंक्तियां आपने लिखी है ऐसे ही लिखा कीजिए मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं

Nitish Tiwary ने कहा…

ग़ज़ल के रूप मे आपने सच्चाई बयाँ कर दी।

मन की वीणा ने कहा…

उम्दा और सटीक सार्थक सृजन।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

काबिल-ए-तारीफ़ ।

शुभा ने कहा…

वाह!लाजवाब !

Kamini Sinha ने कहा…


ख़ुशियाँ पाने की बेचैनियाँ हैं दिल में इस क़द्र
उम्र भर के लिए ख़ुशी से जुदा हो जाते हैं लोग।
बहुत खूब,सादर नमन सर

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आज की सच्चाई

अनीता सैनी ने कहा…

वाह!बहुत ख़ूब।
सादर

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

वाह!
बेहतरीन ग़ज़ल 🌹🙏🌹

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

आज के समय में लोगों का स्वार्थी हो जाना सामान्य सी बात है..सही आइना दिखाया है आपने..समय मिले तो कभी मेरे ब्लॉग पर अवश्य भ्रमण करें..सादर नमन..

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