ज़िंदगी के झंझटों ने उलझा दिया
ये न सोच कि मैंने तुझे भुला दिया।
शुक्रिया कहूँ ख़ुदा को या गिला करूँ
दर्द दिया, दर्द सहने का हौसला दिया।
तुझे बेवफ़ा कहना ठीक न होगा
मेरे मुक़द्दर ने ही मुझे दग़ा दिया।
ये हुनर सीखा है ख़ुश रहने के लिए
हर कसक को आँसुओं में बहा दिया।
हार मानना बुज़दिलों का काम है
इतना तो मैंने ख़ुद को बता दिया।
तेरी याद ही है ‘विर्क’ जिसने मुझे
कभी रुला दिया तो कभी बहला दिया।
दिलबागसिंह विर्क
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6 टिप्पणियां:
ज़िंदगी के झंझटों ने उलझा दिया
ये न सोच कि मैंने तुझे भुला दिया।
शुक्रिया कहूँ ख़ुदा को या गिला करूँ
दर्द दिया, दर्द सहने का हौसला दिया। ...
बेहतरीन गजल लिखी है आपने । बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय विर्क जी ।
वाह ! बेहतरीन.
बहुत उम्दा संजीदा प्रस्तुति ।
बेहतरीन सृजन ।
वाह !बहुत ख़ूब आदरणीय
सादर
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