बुधवार, फ़रवरी 12, 2020

फिर होगा मौसम ख़ुशगवार, इंतज़ार करना

मैं लौटकर आऊँगा यार, इंतज़ार करना
लाऊँगा फिर नई बहार, इंतज़ार करना।

ग़म के बादल में कब तक छुपेगा ख़ुशी का चाँद
होगा कभी-न-कभी दीदार, इंतज़ार करना।

माना बेक़रारियाँ बहुत हैं सफ़रे-प्यार में
इन्हीं में से मिलेगा क़रार, इंतज़ार करना।

दिल की सदा तुम दिल तक पहुँचने तो दो
फिर होगा मौसम ख़ुशगवार, इंतज़ार करना।

दिल के खेल होते शतरंज की बिसात नहीं
जीत का मज़ा देगी हार, इंतज़ार करना।

दिलदार लोगों की कोशिशें ‘विर्क’ रंग लाएगी
चारों तरफ़ फैलेगा प्यार, इंतज़ार करना। 

दिलबागसिंह विर्क 
*****

6 टिप्‍पणियां:

Kamini Sinha ने कहा…

वाह !! बहुत खूब.... ,सादर नमस्कार

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

Jyoti khare ने कहा…

बहुत खूबसूरत सृजन

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर सृजन आदरणीय
सादर

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत ही लाजवाब
वाह!!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-05-2020) को "फिर होगा मौसम ख़ुशगवार इंतज़ार करना "     (चर्चा अंक-3707)    पर भी होगी। 
-- 
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
--   
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
--
सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...