बुधवार, जनवरी 08, 2020

ख़ुशी वापस मिलेगी, जब इसे फैलाओगे

जुदा होकर जब तुम मुझसे दूर चले जाओगे 
क्या बताएँ तुम्हें, तब कितना याद आओगे। 

शामिल हो तुम मेरे ख़्यालों-ख़्वाबों में 
यादों की ख़ुशबू से तन-मन महकाओगे। 

दोस्ती की बेल पर खिलते ही रहेंगे फूल 
अगर रंजिशों को अपने दिल से मिटाओगे। 

जब भी समेटना चाहोगे, न रहेगी पास 
ख़ुशी वापस मिलेगी, जब इसे फैलाओगे।

क़िस्मत मौक़े मुहैया कराएगी यक़ीनन 
अगर तुम ख़ुद को बार-बार आज़माओगे। 

दूरियाँ देखना कभी मुद्दा नहीं होंगी 
जब भी सोचोगे, ‘विर्क’ क़रीब पाओगे। 

दिलबागसिंह विर्क 
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6 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शुक्रवार 10
जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

संजय भास्‍कर ने कहा…

क़िस्मत मौक़े मुहैया कराएगी यक़ीनन
अगर तुम ख़ुद को बार-बार आज़माओगे।
....Wahh

Anita Laguri "Anu" ने कहा…

जी नमस्ते,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (10-01-2019 ) को "विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक - 3576) पर भी होगी

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का

महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

आप भी सादर आमंत्रित है 
अनीता लागुरी"अनु"

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

वाह ! क्या कहने हैं ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीय ।

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

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