शनिवार, सितंबर 28, 2013

शतरंजी चालें क्या तुमने देखी हैं

       
            दिन खुलकर हँसते हैं, रातें रोती हैं ।
            कुदरत की बातें भी मेरे जैसी हैं ।

            आँसू कहता कोई कहता है शबनम
            कोई फर्क नहीं, ये बूँदें मोती है ।

            कुछ तो राज छुपा है उनकी बातों में
            सबसे छुपकर जो सिर जोड़े बैठी हैँ ।

            लोग चला करते पर्दे के पीछे से
            शतरंजी चालें क्या तुमने देखी हैं ?

            जो बातें ढल पाई मेरी ग़ज़लों में
            कुछ जग पर बीती, कुछ खुद पर बीती हैं ।

            रिश्तों में ' विर्क ' दरार यही डालेंगी
            जो बातें अब लगती छोटी-छोटी हैं ।
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बुधवार, सितंबर 25, 2013

ये वक्त हुआ है किसका ?

         
         आएगी आफत तू इस डर से न डरा
         हर दर्द लगे है मुझको तो एक दवा ।

         इस मैं ने हमको पकड़ रखा कुछ ऐसे
         हम करते रहते अक्सर तेरा-मेरा ।

         मंदिर-मस्जिद में क्यों ढूँढू मैं उसको
         जब मेरे पहलू में बैठा आज खुदा ।

         ये साजन से मिलकर आया है जैसे
         नाच रहा इस कुदरत का जर्रा-जर्रा ।

        तुम देखो उल्फत में क्या हश्र हुआ है
        मैं सुधरा, टूटा, बिखरा या फिर बहका ।

       तेरा न हुआ तो क्यों गम में डूबा है
       'विर्क' सुनो तो, ये वक्त हुआ है किसका ?
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शनिवार, सितंबर 14, 2013

हिंदी जुबान हूँ मैं

मीठी हिंदी जुबान हूँ मैं 
हिन्द देश की शान हूँ मैं । 

न भागो औरों के पीछे 
तुम्हारी पहचान हूँ मैं । 

संस्कृत की बेटी हूँ भले 
उर्दू से कब अनजान हूँ मैं । 

तुमसे मिलता है मान मुझे 
दिलाती तुम्हें मान हूँ मैं । 

देशी-विदेशी सबको समाया 
बनी शब्दों की खान हूँ मैं । 

फैलें सभी भाषाएँ मगर 
देश की धड़कन, जान हूँ मैं । 

मीठी हिंदी जुबान हूँ मैं 
हिन्द देश की शान हूँ मैं । 

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बुधवार, सितंबर 11, 2013

है प्यार बड़ा ताकतवर

             
               राह  खदा  की  पाई  है
               जिसने प्रीत निभाई है ।

               ऊँचाई  देती  है  वो
               भीतर जो गहराई है ।

               जब से मैंने इश्क किया
               मुझ पर मस्ती छाई है ।

               चाहे  लफ्ज  अढाई  है ।

               सीने  से  लगकर  यारो
               भर  देना  जो  खाई  है ।

               भीड़ रहे इस धरती पर
               चोटी  पर  तन्हाई  है ।

               निकली  है  मेरे  दिल  से
               ' विर्क ' गजल जो गाई है ।

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शनिवार, सितंबर 07, 2013

टूटा दिल बहते आँसू

इस दिल ने नादानी में
आग लगा दी पानी में ।

वा'दे सारे खाक हुए
आया मोड़ कहानी में ।

तेरी याद चली आए
है ये दोष निशानी में ।

लोग फँसे नादानी में ।

या रब ऐसा क्यों होता
दुख हर प्रेम कहानी में ।

टूटा दिल बहते आँसू
पाए ' विर्क ' जवानी में ।
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मंगलवार, सितंबर 03, 2013

इश्क करो, दीवाने हो जाओ

जो मदमस्त न हो, अब ऐसी कोई सुबह नहीं, शाम नहीं
तेरी  याद  नशा  देती  है , मेरे  हाथों  में  जाम  नहीं  ।

धड़के तेरी खातिर मेरा दिल, मेरी खातिर तेरा दिल
कितना अच्छा है कि हमारे रिश्ते का कोई नाम नहीं ।

दौलत के अम्बार सकूँ देंगे तुम्हें, ये वह्म न पालो 
दिल से इंसा को चाहो, इससे बढ़कर कोई काम नहीं ।

इस दुनिया को छोड़ो तुम, इश्क करो, दीवाने हो जाओ
न डरो तुम, उल्फत तो तमगा है, ये कोई इल्जाम नहीं ।

मैं दिल की बात सुनाता हूँ, सुनना चाहो तो सुन लेना
दुनिया वालो मेरा मकसद तुम्हे देना पैगाम नहीं ।

दिल झुकने को तैयार यहाँ, समझो वो स्थान खुदा का है
चूक हुई है, मंदिर-मस्जिद 'विर्क' इमारत का नाम नहीं ।

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रविवार, सितंबर 01, 2013

एक नया जख्म खाया

         जज्बाती होना ये रंग है लाया
         दर्द का मर्ज मैंने दिल को लगाया ।

                  मेरी बेबसी का ये हाल है यारो
                  हँसने की कोशिश की जब, रोना आया

         सीखा रास्ते की हर ठोकर से मगर
         हर रोज हमने एक नया जख्म खाया ।

                 पीठ पीछे तालियाँ बजा रहा था वो
                 पास आकर जिसने अफसोस जताया ।

         उधेड़बुन में हाथ से निकले दोनों
         न दुनिया हुई मेरी, न सनम पाया ।

                 नफरतों का साज बज रहा साथ इसके
                 लोगों ने ये कैसा प्रेम गीत गाया ।

         इस दुनिया पे ऐतबार न करो ' विर्क '
         इसने अक्सर शिखर पर चढ़ाकर गिराया ।

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