अहमियत नहीं रखते पतझड़, बारिश और बहार
गर दिल ख़ुश हो तो लगता हर मौसम ख़ुशगवार ।
छलकती आँखें, रोता दिल जाने क्या कहना चाहे
शायद इन्हें पता न था, किस शै का नाम है प्यार ।
दिल को बेसबब परेशां देखकर सोचता हूँ मैं
तुम्हीं तो नहीं हो, दिल में मची हलचल के जिम्मेदार ।
तुझसे दूरियाँ किसी क़यामत से कम नहीं लगती
हर लम्हा आफ़त, हर लम्हा करे दिल बेकरार ।
समझे नहीं, जाने वाले की भी मज़बूरी होगी
जब भी आई है याद मुझे, तड़पा है दिल हर बार ।
नफ़रतों की इस दुनिया में मुहब्बत करना गुनाह
ख़ुदा करे ' विर्क ' दुनिया का हर शख़्स हो गुनहगार ।
दिलबाग विर्क
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मेरे और कृष्ण कायत जी द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " में से मेरी एक ग़ज़लनुमा कविता