इस दिल का दर्द क्या तूने कभी जाना है
बेचैन है ये , तन्हा है , दीवाना है |
मुहब्बत गुजरे ऐसी कैफ़ियत से अक्सर
एक तरफ महबूब, दूसरी तरफ जमाना है |
इबादत में हर्फ़ दुई का न आने देना
अगर तुम्हें पत्थरों में ख़ुदा पाना है |
तमन्ना है मुहब्बत का मुक़ाम पाने की
इसके लिए ज़िंदगी को दाँव पर लगाना है
बड़ी बेसब्री से है इंतज़ार उनका
उनसे कुछ सुनना, उन्हें कुछ सुनाना है |
मक़सद जीने का पाने के लिए ' विर्क ' हमें
किसी का होना, किसी को अपना बनाना है |
दिलबाग विर्क
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मेरे और कृष्ण कायत जी द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " से