जैसे माँ को अपना बच्चा बहुत दुलारा होता है
ऐसे ही अपनों का दिया हर ज़ख़्म प्यारा होता है।
ये सच है, ये यादें जलाती हैं तन-मन को मगर
तन्हाइयों में अक्सर इनका ही सहारा होता है।
क़त्ल करने के बाद दामन पाक नहीं रहता इसलिए
ख़ुद कुछ नहीं करता, सितमगर का इशारा होता है।
ये बात और है, तोड़ दिया जाता है बेरहमी से
दर्दमंद भी होता है, दिल अगर आवारा होता है।
दूर तक देखने वाली नज़र क़रीब देखती ही नहीं
कई बार अपने क़दमों के पास ही किनारा होता है।
ख़ुदा का नाम ले, खाली पेट सो जाना आसमां तले
इस बेदर्द दुनिया में ‘विर्क’ ऐसे भी गुज़ारा होता है।
दिलबागसिंह विर्क
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