न चाहा बेवफा की याद में यूँ आँख तर करना
करे मजबूर दिल इतना कि पड़ता है मगर करना ।
मुहब्बत चीज कैसी है, न जीने दे, न मरने दे
सकूँ छीने, करे बेबस, इसे कहते असर करना ।
पुरानी बात छोड़ो, कुछ नया चाहे सदा दुनिया
रहे ताउम्र सबको याद, कुछ ऐसा नजर करना ।
यही सच है, यहाँ घर पत्थरों के, लोग भी पत्थर
हमारा फर्ज है, हालात कुछ तो बेहतर करना ।
किनारे की तमन्ना कश्तियों को किसलिए होगी
इधर से वे उधर जाती , मुकद्दर है सफर करना ।
बड़े गहरे दबे हैं ' विर्क ', झूठी जिन्दगी के सच
तुझे मालूम हो जाएँ अगर, सबको खबर करना ।
*****