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चंद आँसू, चंद अल्फ़ाज़ ( कविता संग्रह )
बुधवार, अक्टूबर 24, 2012
रावण ( तांका )
बुत्त जलता
दशहरे के दिन
रावण नहीं
रावण तो जिन्दा है
हमारे ही भीतर ।
जिन्दा रखते
भीतर का रावण
और बाहर
जलाते हैं पुतले
धर भेष राम का
************
1 टिप्पणी:
Vandana Ramasingh
ने कहा…
जिन्दा रखते
भीतर का रावण
और बाहर
जलाते हैं पुतले
धर भेष राम का
सच है
अक्टूबर 29, 2012 7:12 am
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1 टिप्पणी:
जिन्दा रखते
भीतर का रावण
और बाहर
जलाते हैं पुतले
धर भेष राम का
सच है
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