चंद दिनों में हादसे पर हादसा हो गया
तूने छोड़ दी वफा, मैं भी बेवफा हो गया ।
दिनो-दिन हालात बद से बदतर होते चले गए
जाने क्या खता हुई, क्यों नाराज खुदा हो गया ।
कोशिश तो की होती मसले का हल तलाशने की
बित्ते भर की गलतफहमी मीलों फासिला हो गया ।
खुशी मांगी, गम मिले, मुहब्बत की, नफरत पाई
क्या सोचा था हमने और क्या से क्या हो गया ।
टूटे दिल को समझा न पाए बातों से, आखिर
साकी बना लिया साथी, घर मैकदा हो गया ।
दोस्त बनाकर देखे "विर्क "वफा निभाकर देखी
अब अपनी धुन में रहना मेरा फलसफा हो गया ।
दिलबाग विर्क
*********
तूने छोड़ दी वफा, मैं भी बेवफा हो गया ।
दिनो-दिन हालात बद से बदतर होते चले गए
जाने क्या खता हुई, क्यों नाराज खुदा हो गया ।
कोशिश तो की होती मसले का हल तलाशने की
बित्ते भर की गलतफहमी मीलों फासिला हो गया ।
खुशी मांगी, गम मिले, मुहब्बत की, नफरत पाई
क्या सोचा था हमने और क्या से क्या हो गया ।
टूटे दिल को समझा न पाए बातों से, आखिर
साकी बना लिया साथी, घर मैकदा हो गया ।
दोस्त बनाकर देखे "विर्क "वफा निभाकर देखी
अब अपनी धुन में रहना मेरा फलसफा हो गया ।
दिलबाग विर्क
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4 टिप्पणियां:
वाह...
बहुत बढ़िया ......
लाजवाब शेर (अब अगज़ल में शेर तो होते हैं न??)
कोशिश तो की होती मसले का हल तलाशने की
बित्ते भर की गलतफहमी मीलों फासिला हो गया ।
बहुत खूब ..
अनु
प्यारी ग़ज़ल
सुबह सार्थक हुई
सादर
बहुत सुन्दर गज़ल
कोशिश तो की होती मसले का हल तलाशने की
बित्ते भर की गलतफहमी मीलों फासिला हो गया ।
ये बीतते भर की गलती ही फासला पैदा कर देती है .... सुंदर गज़ल
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