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चंद आँसू, चंद अल्फ़ाज़ ( कविता संग्रह )
बुधवार, जून 15, 2016
प्रेम का मुकाम
तू दूर कब है मुझसे
मैं अब मैं कहा हूँ
एक चुके हैं हम दोनों
जब निहारूं खुद को
तुझे साथ पाया है प्रियतम
कुछ भी तो नहीं चाहिए
इसके सिवा
प्रेम ने पा लिया है
अपना मुकाम |
दिलबागसिंह विर्क
******
2 टिप्पणियां:
Onkar
ने कहा…
बहुत बढ़िया
जून 18, 2016 4:22 pm
बेनामी ने कहा…
सादर
जून 24, 2016 12:06 pm
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2 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया
सादर
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