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भाग - 2
दुश्मन सेना देखकर, अब देखो निज ओर।
सेना अपनी कम नहीं, योद्धा हैं सब घोर ।।8।।
भीष्म पितामह से बड़ा, योद्धा होगा कौन।
सौ भाई हम भी खड़े, साथ पुत्र है द्रोण ।।9।।
सबसे बढ़कर आप हैं, कर देना संहार।
युद्ध नहीं यह आम है, नहीं चाहता हार ।। 10 ।।
भीष्म किया रणघोष है, करने को तैयार।
बिगुल बजाया कृष्ण ने, किया युद्ध स्वीकार।। 11 ।।
शंखनाद करने लगे, योद्धा दोनों ओर ।
गूंज उठा है आसमां, हुआ भयंकर शोर ।। 12 ।।
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पुस्तक - गीता दोहावली
11 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर ,लाज़वाब।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ३ सितम्बर २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
वाह
वाह! बहुत सुन्दर!
हार्दिक आभार आदरणीय
हार्दिक आभार आदरणीय
हार्दिक आभार आदरणीय
हार्दिक आभार आदरणीय
बहुत सुन्दर
पूरा पढ़ने का मन हो रहा है । ऊर्जा से ओतप्रोत।
हार्दिक आभार आदरणीय
हार्दिक आभार आदरणीय
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