सोमवार, अक्तूबर 21, 2024

सांख्य योग ( भाग - 5 )

हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के वर्ष 2022 के श्रेष्ठ हिंदी काव्य कृति पुरस्कार से पुरस्कृत पुस्तक 'गीता दोहावली' से 
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है जो पथ कल्याण का, बुद्धि वहाँ पर एक। 
कामी जन संसार के, मानें इसे अनेक ।।33 ।।

नज़र स्वर्ग पर है टिकी, दिखे नहीं कुछ और।
दूषित ऐसी सोच है, करना इस पर गौर।।34।।

मोह दिखाते स्वर्ग का, करते सुंदर बात। 
पर ये मीठे बोल हैं, घोर अँधेरी रात ।।35।।

कर्मयोग होता नहीं, फल की हो जब चाह। 
लेकर जाए ना कहीं, भटकाती यह राह।।36।।

फल न हमारे हाथ में, करना होता काम। 
फल की चिंता छोड़कर, रहना तुम निष्काम ।।37।।

वेदों का कहना यही, सबका यही निचोड़। 
बाहर आओ द्वंद्व से, दो सुख-दुख को छोड़  38।।
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डॉ. दिलबागसिंह विर्क
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7 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

निसंदेह सत्य

anita _sudhir ने कहा…

अति उत्तम सार्थक सृजन की बधाई आ0

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय

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