हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के वर्ष 2022 के श्रेष्ठ हिंदी काव्य कृति पुरस्कार से पुरस्कृत पुस्तक 'गीता दोहावली' से
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है जो पथ कल्याण का, बुद्धि वहाँ पर एक।
कामी जन संसार के, मानें इसे अनेक ।।33 ।।
नज़र स्वर्ग पर है टिकी, दिखे नहीं कुछ और।
दूषित ऐसी सोच है, करना इस पर गौर।।34।।
मोह दिखाते स्वर्ग का, करते सुंदर बात।
पर ये मीठे बोल हैं, घोर अँधेरी रात ।।35।।
कर्मयोग होता नहीं, फल की हो जब चाह।
लेकर जाए ना कहीं, भटकाती यह राह।।36।।
फल न हमारे हाथ में, करना होता काम।
फल की चिंता छोड़कर, रहना तुम निष्काम ।।37।।
वेदों का कहना यही, सबका यही निचोड़।
बाहर आओ द्वंद्व से, दो सुख-दुख को छोड़ । 38।।
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डॉ. दिलबागसिंह विर्क
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7 टिप्पणियां:
वाह
हार्दिक आभार आदरणीय
हार्दिक आभार आदरणीय
निसंदेह सत्य
अति उत्तम सार्थक सृजन की बधाई आ0
हार्दिक आभार आदरणीय
हार्दिक आभार आदरणीय
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