बुधवार, मई 21, 2014
मंगलवार, मई 13, 2014
सोमवार, मई 05, 2014
कसम खाने को है या निभाने को है
ये
दिल मचलकर बाहर आने को है
इसकी
बेबसी मुझे रुलाने को है |
दुनिया
ने छीन ली छत्त सिर से
और
आसमां बिजली गिराने को है |
उलझ
गया हूँ मैं,
कोई
बताए मुझे
कसम
खाने को है या निभाने को है |
लापरवाहियाँ
मैंने छोड़ी ही नहीं
तमाशबीन
फिर आग लगाने को है |
अमन,
ख़ुशी,
प्यार
की उम्मीदों का महल
दौर
– ए - दहशत
में चरमराने को है |
किसी
को अब परवाह नहीं रही इसकी
वफ़ा
का फूल '
विर्क
'
मुरझाने
को है |
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