आग उगलें शब्द
फड़कने लगें बाजू
कविता पढ़कर
ज़रूरी तो नहीं
अल्फ़ाज़ हर बार
प्रेरित करें लोगों को
बंदूक उठाने के लिए
कब ज़रूरी है यह
विरोध की भाषा का
बन्दूकों से ही बोला जाना
कहाँ ज़रूरी है
परिवर्तन के लिए
काफ़ी होता है
विचारों की एक लहर का उठाना
मन-मस्तिष्क में
हमें तो करनी है
विचारों की खेती
क्योंकि
बंदूकें तो
कभी-कभार लिखती हैं
विचार अक्सर लिखते हैं
परिवर्तन की कहानी |
दिलबागसिंह विर्क
******
4 टिप्पणियां:
सुंदर अति सुंदर
परिवर्तन के लिए
काफ़ी होता है
विचारों की एक लहर का उठाना
मन-मस्तिष्क में ....बिल्कुल सही लिखा आपने।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं" (चर्चा अंक-3686) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुंदर ! वाह
एक टिप्पणी भेजें