मंगलवार, अप्रैल 12, 2016

भेड़चाल

शिकार बन जाना
सम्मोहित हो जाना
नियति है भेड़ों की 

कितने भी युग बदलें
ज्ञान का प्रसार हो चाहे जितना 
भेड़ें भेड़ें ही रहती हैं
और भेड़िए भेड़िए 

बदलते दौर के साथ
नहीं बदलती भेड़ें
मगर बदल जाते हैं भेड़िए 

भेड़िए आजकल सिर्फ़ शिकार नहीं करते
पूरी भेड़ जाति पर कब्जा जमाने के लिए 
वे पालते हैं कुछ भेड़ें
भेड़ियों की पालतु भेड़ें
चलती हैं भेड़ियों के इशारों पर 

बहुत सी भेड़ें
बेशक पालतु नहीं भेड़ियों की
मगर वे भेड़ें तो हैं ही
उन्हें निभानी होती है 
भेड़चाल की अपनी परम्परा ।

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दिलबागसिंह विर्क
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2 टिप्‍पणियां:

शिवानी जयपुर ने कहा…

भेड़- भेड़िए ....और परम्परा ...
बहुत सुन्दर तुलनात्मक अभिव्यक्ति

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत बढ़ि‍या..कुछ बदलते हैं कुछ वैसे ही रहते हैं...

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