गुरुवार, अक्टूबर 20, 2011

अग़ज़ल - 27

                
काफिला  हो  न  हो  तुम्हें  चलना  होगा 
रौशनी के लिए मोम-सा पिघलना होगा ।

यह  जुबां  क्या  बयाँ  करेगी  हाले-दिल
इस  दर्द  को  खुद  जुबां  बनना  होगा ।

तुम हौंसला न हारो , एक दिन वक्त को
ख़ुद  तुम्हारे  सांचों  में  ढलना  होगा ।

बस  शर्त  यही  है , चेहरा  खिला  रहे
चमन  में  गुंचों  को  तो  खिलना  होगा ।

अँधेरा हो न जाए हावी , इसके लिए 
चिरागों  को  रात  भर  जलना  होगा ।

थकान का बहाना न बनाओ ' विर्क '
मंज़िल पाने के लिए बस चलना होगा 

            दिलबाग विर्क               
* * * * * 

9 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

तुम हौंसला न हारो , एक दिन वक्त को
खुद तुम्हारे सांचों में ढलना होगा ।

बहुत खूब ..सुन्दर सन्देश देती अच्छी रचना

संगीता पुरी ने कहा…

थकान का बहाना न बनाओ ' विर्क '
मंजिल पाने के लिए बस चलना होगा ।

बहुत खूब !!

Asha Lata Saxena ने कहा…

'अन्धेरा हो जाए न हाबी
दीपकों को रात भर जलना होगा '
दिल छूती पंक्तियाँ |

बहुत सुन्दर |
दीपावली के लिए अग्रिम बधाई |
आशा

kanu..... ने कहा…

तुम हौंसला न हारो , एक दिन वक्त को
खुद तुम्हारे सांचों में ढलना होगा ।

bahut sundar rachna.mere blog par aapka swagat hai

चंदन ने कहा…

चलना होगा !
बहुत अच्छी रचना!
प्रेरणादायक !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

मंजिल पाने के लिए बस चलना होगा ।
बहुत खूब
चलना ही होगा....
बहुत सुन्दर अशआर....
सादर बधाई...

संजय भास्‍कर ने कहा…

तुम हौंसला न हारो , एक दिन वक्त को
खुद तुम्हारे सांचों में ढलना होगा ।
क्या बात है विर्क जी...मंजिल पाने के लिए बस चलना होगा । ......बहुत सुन्दर...!

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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