मंगलवार, फ़रवरी 28, 2012

अग़ज़ल - 35

     खुदा की यही एक खूबसूरत निशानी होती है
     मुहब्बत के बिना जिन्दगी बे'मानी होती है ।

     लोग बेवफा भी हो जाते हैं सफरे-प्यार में
     मगर किसी-न-किसी को तो वफा निभानी होती है ।

     हसीन नजारों से हो नहीं पाती मुलाकात यहाँ 
     कभी गुलशन में, कभी आँखों में वीरानी होती है ।

     इस जिन्दगी की राहें आसां नहीं होती दोस्तो
     हर मोड़ पर रू-ब-रू नई परेशानी होती है ।

     ये और बात है , हम अक्सर भूल जाते हैं इसे 
     अपनी गलतियों की कीमत तो चुकानी होती है ।

     कोई-न-कोई हुनर तो होना ही चाहिए विर्क
     कब यूं ही ये दुनिया किसी की दीवानी होती है ।

* * * * *
                            

शुक्रवार, फ़रवरी 24, 2012

पूजा होता प्यार

कब नाता है जिस्म से , आत्मा का व्यापार।
जाति-उम्र ना देखता , अंधा होता प्यार ।
अंधा होता प्यार , बात ये दिल की माने ।
जाने बस दिलदार , और ना कुछ भी जाने ।
पूजा होता प्यार , प्यार ही होता मजहब ।
बन जाता तूफ़ान , मानता है बंधन कब ।

* * * * *

शुक्रवार, फ़रवरी 17, 2012

अग़ज़ल - 34

हाले-दिल उन्हें बता न पाए ,बस यही खता रही ।
इसी सबब के चलते उम्र भर तड़पने की सजा रही ।
हम अभी राह में थे , वो पार कर गए कई मंजिलें 
वो बादलों के हमख्याल थे, दोस्त उनकी हवा रही ।


दुश्मन तो न था जमाना फिर भी दुश्मन-सा लगा
शायद नसीब की बदौलत ही हर दुआ बद दुआ रही  ।


इस जमाने की तमाम महफ़िलों की रौनक रहे वो 
और  उम्र  भर  तन्हाई  करती  मुझसे  वफा  रही ।


न तो मैं हो सका किसी का, न ही मेरा हुआ कोई 
मेरी  तकदीर  भी  मेरी  ही  तरह  सबसे  जुदा  रही ।


क्या बताऊँ विर्क क्यों न हुई ख़ुशी से मुलाकात मेरी 
मैं तो खुद न जान पाया, मजबूरियां मेरी क्या रही ।


                             * * * * *



सोमवार, फ़रवरी 13, 2012

मुझे तुमसे प्यार है ( कविता )

प्यार
भावना था कभी 
आजकल भाषण है ।
क्योंकि
सुबह के वक्त 
दोपहर के वक्त
शाम के वक्त
घर से निकलते वक्त 
घर आते वक्त
फोन पर बतियाते वक्त
बार-बार दोहराया जाता है
एक जुमला
मुझे तुमसे प्यार है ।

भले ही 
पति-पत्नी दोनों का मुंह 
रहता हो विपरीत दिशाओं में
भले ही 
एक-दूसरे की अवमानना 
आम बात हो 
भले ही 
घर से बाहर जाते ही 
कोई और भी लगता हो 
दिल को प्यारा
फिर भी 
एक-दूसरे को
अंधेरे में रखने के लिए 
अक्सर दोहराया जाता है 
यह जुमला
मुझे तुमसे प्यार है ।

यह जुमला 
बेहद जरूरी है
क्योंकि अब
प्यार भावना नहीं
महज एक भाषण है ।
प्यार एहसास नहीं
महज एक दिखावा है ।
प्यार आजकल 
एक ओवरकोट है
जो कभी भी उतारा जा सकता है
जो कभी भी पहना जा सकता है
कभी भी 
किसी को भी
कहा जा सकता है
मुझे तुमसे प्यार है ।
मुझे तुमसे प्यार है ।

* * * * *

बुधवार, फ़रवरी 08, 2012

स्वार्थ का पाठ ( लघुकथा )

 स्वार्थ का पाठ 

" वीरू को कहाँ लेकर गए हैं ? "- सरला के भतीजे चिंटू ने सरला से पूछा । ' वीरू' नाम है बछड़े का । ये नामकरण भी उसी ने किया था । इसके पीछे उसका तर्क था कि जब हम सबका नाम है तो बछड़े का क्यों नहीं ? आदमियों, पशुओं, पक्षियों सबसे अपनत्व का भाव बच्चों का ही काम है वरना हम तो...
" बाहर कहीं दूर छोड़ने गए हैं ।" - सरला ने उत्तर दिया ।
" तो क्या सोना ( उसी के द्वारा दिया गया बछिया का नाम ) को भी छोड़कर आएँगे ।" - उसने नया प्रश्न किया ।
" नहीं ।"
" क्यों, सोना को क्यों नहीं ?"
" वह बड़ी होकर गाय बनेगी, दूध देगी ।"
" और वीरू ?"
" वह बड़ा होकर बैल बनता । अब खेतों में ट्रैक्टर हैं इसलिए बैलों की जरूरत नहीं, इसीलिए वह हमारे किसी काम का नहीं ।"
" जो काम का नहीं होता क्या उसे बाहर छोड़ दिया जाता है ?"- चिंटू ने न्य प्रश्न दागा
" हाँ । "- सरला ने पीछा छुड़ाने की नीयत से कहा ।
" जब हम काम के नहीं रहेंगे तब हमें भी बाहर छोड़ दिया जाएगा ?"- एक और घातक प्रश्न सरल के सामने था । इस प्रश्न का उत्तर तो वो क्या दे सकती थी । हाँ, इतना अहसास उसे जरूर हो गया था कि हमारे ही कृत्य बच्चों को स्वार्थ का पहला पाठ पढ़ा देते हैं ।
दिलबाग विर्क
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शुक्रवार, फ़रवरी 03, 2012

हो सके तो ( कविता )

अगर 
हो सके तो 
प्यार के फूल खिलाना
जिससे महक सके 
घर आंगन
अगर
ऐसा संभव न हो तो
कम - से - कम 
बचना
नफरत की दीवार उठाने से
क्योंकि
युग लगते हैं
नफरत की
एक - एक
ईंट गिराने में ।

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