बुधवार, फ़रवरी 26, 2020

कविता

पानी भरे खेतों में
धान रोपते किसान
फैक्ट्रियों में
उत्पाद तैयार करते
मज़दूर
अट्टालिकाएँ बनाते
राजमिस्त्री
रच रहे होते हैं कविता
कविता
सिर्फ़ कवि नहीं लिखता


दिलबागसिंह विर्क 
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बुधवार, फ़रवरी 19, 2020

ये ज़रूरी तो नहीं

"ये ज़रूरी तो नहीं" मेरी110 ग़ज़लनुमा कविताओं का संग्रह है, जिन्हें आप ब्लॉग पर भी पढ़ सकते हैं और ebook के रूप में भी | दोनों के लिंक निम्न हैं - 
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बुधवार, फ़रवरी 12, 2020

फिर होगा मौसम ख़ुशगवार, इंतज़ार करना

मैं लौटकर आऊँगा यार, इंतज़ार करना
लाऊँगा फिर नई बहार, इंतज़ार करना।

ग़म के बादल में कब तक छुपेगा ख़ुशी का चाँद
होगा कभी-न-कभी दीदार, इंतज़ार करना।

माना बेक़रारियाँ बहुत हैं सफ़रे-प्यार में
इन्हीं में से मिलेगा क़रार, इंतज़ार करना।

दिल की सदा तुम दिल तक पहुँचने तो दो
फिर होगा मौसम ख़ुशगवार, इंतज़ार करना।

दिल के खेल होते शतरंज की बिसात नहीं
जीत का मज़ा देगी हार, इंतज़ार करना।

दिलदार लोगों की कोशिशें ‘विर्क’ रंग लाएगी
चारों तरफ़ फैलेगा प्यार, इंतज़ार करना। 

दिलबागसिंह विर्क 
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