जी नमस्ते, आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (20-03-2020) को महामारी से महायुद्ध ( चर्चाअंक - 3646 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं। ***** आँचल पाण्डेय
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति | शारदा मिश्रा जी के एक बरसों पुराने गीत की पंक्तियां स्मरण करवा दीं इसने - हमने तो हर शब्द में ढाली अपनी प्रीत दुनिया को उसमें दिखीं कविता गज़लें गीत
18 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (20-03-2020) को महामारी से महायुद्ध ( चर्चाअंक - 3646 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
आँचल पाण्डेय
कागजी जमीन पर उगी फ़सल कितने ही रंग दिखाती है एक नजर में.
गजब की प्रस्तुती.
नई रचना- सर्वोपरि?
बहुत अच्छी प्रस्तुति
Mere blog par aapka swagat hai.....
वाह!बेहतरीन!
बेहद उम्दा।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-04-2020) को "कोरोना से खुद बचो, और बचाओ देश" (चर्चाअंक - 3658) पर भी होगी।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
वाह
बहुत सुंदर रचना।
कागज की खेती
बेहतरीन
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बहुत सुन्दर सृजन .
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति | शारदा मिश्रा जी के एक बरसों पुराने गीत की पंक्तियां स्मरण करवा दीं इसने -
हमने तो हर शब्द में ढाली अपनी प्रीत
दुनिया को उसमें दिखीं कविता गज़लें गीत
बहुर सुंदर अभिव्यक्ति।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
शीर्षक ही इतना जबर्दस्त है कि मुंह से अपने आप 'वाह' निकल गया... फिर रचना का तो कहना ही क्या...
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