मंगलवार, दिसंबर 24, 2013

आँखों में मैखाने

हर सू , हर शै में हमको वो दिखते हैं
जब भी दिल जुड़ते, नैन मिला करते हैं ।

इश्क़ किया जाता कैसे, सुन लो यारो
कुछ तो कहते परवाने, जब जलते हैं ।

किसमें दम इतना, कौन मुकाबिल तेरे
चाँद - सितारे  तेरा  पानी  भरते  हैं  ।

पीने  वाले  बदनाम  हुए  हैं  नाहक
वो आँखों में मैखाने लिए फिरते हैं ।

यूँ  लगता  है,  तेरे  गेसू  हों  जैसे
जब पगलाने वाले बादल घिरते हैं ।

दर्द  बँटा  लेते  हैं  जब  हम औरों  का
जीवन में विर्क खुशी के गुल खिलते हैं ।

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सोमवार, दिसंबर 16, 2013

वफा के खिलौने पुराने हुए


बड़ी गुर्बज़ी के जमाने हुए 
                      शराफत, अदब तो फ़साने हुए । 

                      वफा के लिए कौन मिटता यहाँ 
                      वफा के खिलौने पुराने हुए । 

                     न ढूँढा गया तोड़ इस चाल का 
                     नए रोज उनके बहाने हुए । 

                    जहाँ दिन ढला या कदम थक गए 
                    वहीं पर हमारे ठिकाने हुए । 

                    नफा देखते लोग हर बात में 
                    सभी आज बेहद सियाने हुए । 

                    यहाँ आम जब से हुई नफरतें
                    न फिर ' विर्क ' मौसम सुहाने हुए । 

                              *********
गुर्बज़ी - मक्कारी 
                               *********

बुधवार, दिसंबर 11, 2013

देख न लिबास साकिया

             
         ऊँची उड़ान चाहे मेरी आस साकिया 
         ये चोटियाँ बुला रही हैं पास साकिया |

         तू बार-बार ऐसे मेरा इम्तिहां न लें 
         कमतर नहीं किसी से मेरी प्यास साकिया |

         चखकर मिले सदा, यार इस इश्क का मजा 
         तू चूक जाएगा, लगा न कयास साकिया |

         सबको पिला रहा जाम, कुछ भी न पूछता 
         गम का न हो रहा तुझे अहसास साकिया |

         कुछ और ही निकलता है भीतर से आदमी 
         गहरा उतर यहाँ, देख न लिबास साकिया |

         देती सकून, ख़ाक उड़े जो तेरी गली 
         है ' विर्क ' के लिए तेरा दर ख़ास साकिया |

                             *******

सोमवार, दिसंबर 02, 2013

प्यार का इल्जाम रहने दे

                     
       सिखाना छोड़, होंठों पर उसी का नाम रहने दे
       यही है जिन्दगी अब, हाथ में तू जाम रहने दे ।

       अदा होगी नहीं कीमत कभी मशहूर होने की
       यही अच्छा रहेगा, तू मुझे गुमनाम रहने दे ।

       मझे मालूम है, रूसवा करेंगें प्यार के चर्चे
       लगे प्यारा, मेरे सिर प्यार का इल्जाम रहने दे ।

       शरीफों की शराफत देख ली मैंने यहाँ यारो
       नहीं मैं साथ उनके, तुम मुझे बदनाम रहने दे ।

       तुझे जो चाहिए ले ले, बचे जो छोड़ देना वो
       मेरे हिस्से सवेरा जो न हो, तो शाम रहने दे ।

       मुझे तो राह का'बे का लगे महबूब की गलियाँ
       वहाँ पर ' विर्क ' जाना रोज हो, कुछ काम रहने दे ।

                         ************

बुधवार, नवंबर 27, 2013

मुकद्दर है सफर करना

                 
        न चाहा बेवफा की याद में यूँ आँख तर करना
        करे मजबूर दिल इतना कि पड़ता है मगर करना ।

        मुहब्बत चीज कैसी है, न जीने दे, न मरने दे

        सकूँ छीने, करे बेबस, इसे कहते असर करना ।

        पुरानी बात छोड़ो, कुछ नया चाहे सदा दुनिया

        रहे ताउम्र सबको याद, कुछ ऐसा नजर करना

        यही सच है, यहाँ घर पत्थरों के, लोग भी पत्थर

        हमारा फर्ज है, हालात कुछ तो बेहतर करना ।

        किनारे की तमन्ना कश्तियों को किसलिए होगी

        इधर से वे उधर जाती , मुकद्दर है सफर करना

        बड़े गहरे दबे हैं ' विर्क ', झूठी जिन्दगी के सच

        तुझे मालूम हो जाएँ अगर, सबको खबर करना ।

                                   *****

मंगलवार, नवंबर 19, 2013

आँख को अश्क मंजूर है

पा रहा दिल यहाँ साथ भरपूर है
प्यार में आँख को अश्क मंजूर है ।

दूरियाँ और नजदीकियाँ झूठ सब
पास पाऊँ तुझे, तू भले दूर है ।

इश्क़ में डूबकर जान पाया यही
हर तरफ छा रहा एक ही नूर है ।

सीरतें सूरतों से सदा बेहतर
हुस्न यूँ ही नशे में हुआ चूर है ।

रात-दिन काम के फिक्र में घूमता
आदमी तो महज एक मजदूर है ।

थूकता था जमाना जिसे देखकर
देख लो शख्स वो आज मशहूर है ।

हाथ से हाथ पर्दा रखे है यहाँ
ये नए दौर का ' विर्क ' दस्तूर है ।

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बुधवार, नवंबर 13, 2013

तुझे सोचता है जहन रात - दिन

परिन्दे उजाड़ें चमन रात-दिन
सुलगता रहे दिल, जलन रात-दिन ।

मिरे देश की है सियासत बुरी
यहाँ बिक रहे हैं कफन रात-दिन ।

पुरानी हुई बात तहजीब की
बदलने लगा है चलन रात-दिन ।

रहा रोग अब सिर्फ दिल तक नहीं
तुझे सोचता है जहन रात - दिन ।

बँधा था सदा फर्ज की डोर से
किया ख्वाहिशों का दमन रात-दिन ।

निराशा मिली ' विर्क ' औलाद से
परेशान रहता वतन रात-दिन ।
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शनिवार, नवंबर 02, 2013

बने दिवाली

प्रयास करो
दीप से दीप जले
बने दिवाली
रोशनी से नहाए
हर घर आँगन ।

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शुक्रवार, अक्तूबर 25, 2013

फिर याद आया राम है

सुन मुहब्बत दे रही पैगाम है
प्यार ही सबसे नशीला जाम है ।

दिन चुनावों के लगें नजदीक ही

भूल जाते लोग दो दिन बाद ही
सोच ये, हमने कमाया नाम है ।

बिक रहा हर आदमी इस देश का
था नगीना पर बड़ा कम दाम है ।

यूँ खड़े हैं साथ मेरे यार सब
जब जरूरत, कौन आया काम है ।

आबरू के उड़ रहे हैं परखचे
हो रहा अब ये तमाशा आम है ।

' विर्क ' अब हम जी रहे किस दौर में
ये शराफत भी बनी इल्जाम है ।
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मंगलवार, अक्तूबर 22, 2013

उम्र भर कब रहा साथ साया घना


              सीख ले धूप की तल्खियाँ झेलना
              उम्र भर कब रहा साथ साया घना

             बन बवंडर गई देखते - देखते
             आग से तेज है बात का फैलना ।

             हाँ कही जब कभी, जाल खुद बुन लिया
             दाद देना उसे, कर सका जो मना

             हार हिस्सा रहेगी सदा खेल का
             जीत की चाह रखकर भले खेलना ।
          
             तंग है सोच, दिखती नहीं खूबियाँ
             आदतन वो करे सिर्फ आलोचना

             देखने का तरीका बदल तो सही
             खूबसूरत दिखेगा जहां, देखना ।
         
             तोड़ दो , अब जरूरत नहीं जाम की
             बिन पिए आ गया ' विर्क ' गम ठेलना ।

                           *******

रविवार, अक्तूबर 20, 2013

लोग बस नारे लगाना जानते

                     
           दर्द औरों का बँटाना जानते

           काश ! यारी हम निभाना जानते।

                     इस तरफ हैं वो कभी उस ओर हैं
                     लोग बस नारे लगाना जानते

           खो गया विश्वास यारो क्या करें
           सब यहाँ पर आजमाना जानते ।

                    दर्द की कोई दवा देते नहीं
                    हुस्नवाले दिल जलाना जानते।

           ईंट-पत्थर के मकां, लो बन गए
           काश ! घर कोई बनाना जानते।

                  हो पसीने की महक जिसमें भरी
                  क्यों नहीं ऐसे कमाना जानते।

           बेवफा कहता न फिर कोई हमें
           ' विर्क ' जो आँसू बहाना जानते ।

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गुरुवार, अक्तूबर 17, 2013

आँख रोए कभी दिल जले

प्यार की राह पर जब चले
आँख रोए कभी दिल जले ।

दिन उगे, शाम या फिर ढले ।

गलतियाँ कुछ तेरी, कुछ मेरी
रात-दिन फिर बढ़े फासिले ।

आदमी एक से ही मिले ।

नोचते लोग कलियाँ जहाँ
फूल कोई वहाँ कब खिले ।

' विर्क ' दरपेश हैं मरहले ।

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सोमवार, अक्तूबर 14, 2013

ये दिल कभी बंजर नहीं होता

    करे पागल, मुहब्बत का असर किस पर नहीं होता
    बड़ा जरखेज है , ये दिल कभी बंजर नहीं होता ।

    कशिश है खास, सादापन सदा तारीफ पा लेता 
    न मानो बेहतर, ये हुस्न से कमतर नहीं होता ।

    बड़ा मुश्किल मगर खुद्दार होना तो जरूरत है
    झुके जो हर किसी के सामने वो सिर नहीं होता ।

    हमें बेखौफ कर देता, मुहब्बत पाक जज्बा है
    करे है इश्क जो, उसको किसी का डर नहीं होता ।

    हजारों चाहने वाले मगर साथी नहीं कोई
    यही तो है नसीब, तवाइफों का घर नहीं होता ।

    मुझे तो पाक दिखता है मिरे महबूब का दर भी
    यहाँ सजदा न हो खुद, वो खुदा का दर नहीं होता ।

    कभी घर ही बने मंदिर, बनाना ' विर्क ' जब चाहें
    जिसे मंदिर कहा, वो भी कभी मंदिर नहीं होता ।

                             *********

शुक्रवार, अक्तूबर 04, 2013

अमृतधारा है आशा


आशा से संसार है, रखना दिल में आस 
 मंजिल होगी पास में, करते रहो प्रयास ।
 करते रहो प्रयास , झोंक दो पूरी ताकत 
 जीवन होगा सफल, न टिक पाएगी आफत ।
 मत डालो हथियार, हराती हमें हताशा 
 कहता सबसे 'विर्क', अमृतधारा है आशा ।

दिलबाग विर्क 
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शनिवार, सितंबर 28, 2013

शतरंजी चालें क्या तुमने देखी हैं

       
            दिन खुलकर हँसते हैं, रातें रोती हैं ।
            कुदरत की बातें भी मेरे जैसी हैं ।

            आँसू कहता कोई कहता है शबनम
            कोई फर्क नहीं, ये बूँदें मोती है ।

            कुछ तो राज छुपा है उनकी बातों में
            सबसे छुपकर जो सिर जोड़े बैठी हैँ ।

            लोग चला करते पर्दे के पीछे से
            शतरंजी चालें क्या तुमने देखी हैं ?

            जो बातें ढल पाई मेरी ग़ज़लों में
            कुछ जग पर बीती, कुछ खुद पर बीती हैं ।

            रिश्तों में ' विर्क ' दरार यही डालेंगी
            जो बातें अब लगती छोटी-छोटी हैं ।
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बुधवार, सितंबर 25, 2013

ये वक्त हुआ है किसका ?

         
         आएगी आफत तू इस डर से न डरा
         हर दर्द लगे है मुझको तो एक दवा ।

         इस मैं ने हमको पकड़ रखा कुछ ऐसे
         हम करते रहते अक्सर तेरा-मेरा ।

         मंदिर-मस्जिद में क्यों ढूँढू मैं उसको
         जब मेरे पहलू में बैठा आज खुदा ।

         ये साजन से मिलकर आया है जैसे
         नाच रहा इस कुदरत का जर्रा-जर्रा ।

        तुम देखो उल्फत में क्या हश्र हुआ है
        मैं सुधरा, टूटा, बिखरा या फिर बहका ।

       तेरा न हुआ तो क्यों गम में डूबा है
       'विर्क' सुनो तो, ये वक्त हुआ है किसका ?
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शनिवार, सितंबर 14, 2013

हिंदी जुबान हूँ मैं

मीठी हिंदी जुबान हूँ मैं 
हिन्द देश की शान हूँ मैं । 

न भागो औरों के पीछे 
तुम्हारी पहचान हूँ मैं । 

संस्कृत की बेटी हूँ भले 
उर्दू से कब अनजान हूँ मैं । 

तुमसे मिलता है मान मुझे 
दिलाती तुम्हें मान हूँ मैं । 

देशी-विदेशी सबको समाया 
बनी शब्दों की खान हूँ मैं । 

फैलें सभी भाषाएँ मगर 
देश की धड़कन, जान हूँ मैं । 

मीठी हिंदी जुबान हूँ मैं 
हिन्द देश की शान हूँ मैं । 

*********

बुधवार, सितंबर 11, 2013

है प्यार बड़ा ताकतवर

             
               राह  खदा  की  पाई  है
               जिसने प्रीत निभाई है ।

               ऊँचाई  देती  है  वो
               भीतर जो गहराई है ।

               जब से मैंने इश्क किया
               मुझ पर मस्ती छाई है ।

               चाहे  लफ्ज  अढाई  है ।

               सीने  से  लगकर  यारो
               भर  देना  जो  खाई  है ।

               भीड़ रहे इस धरती पर
               चोटी  पर  तन्हाई  है ।

               निकली  है  मेरे  दिल  से
               ' विर्क ' गजल जो गाई है ।

                           *******

शनिवार, सितंबर 07, 2013

टूटा दिल बहते आँसू

इस दिल ने नादानी में
आग लगा दी पानी में ।

वा'दे सारे खाक हुए
आया मोड़ कहानी में ।

तेरी याद चली आए
है ये दोष निशानी में ।

लोग फँसे नादानी में ।

या रब ऐसा क्यों होता
दुख हर प्रेम कहानी में ।

टूटा दिल बहते आँसू
पाए ' विर्क ' जवानी में ।
*********

मंगलवार, सितंबर 03, 2013

इश्क करो, दीवाने हो जाओ

जो मदमस्त न हो, अब ऐसी कोई सुबह नहीं, शाम नहीं
तेरी  याद  नशा  देती  है , मेरे  हाथों  में  जाम  नहीं  ।

धड़के तेरी खातिर मेरा दिल, मेरी खातिर तेरा दिल
कितना अच्छा है कि हमारे रिश्ते का कोई नाम नहीं ।

दौलत के अम्बार सकूँ देंगे तुम्हें, ये वह्म न पालो 
दिल से इंसा को चाहो, इससे बढ़कर कोई काम नहीं ।

इस दुनिया को छोड़ो तुम, इश्क करो, दीवाने हो जाओ
न डरो तुम, उल्फत तो तमगा है, ये कोई इल्जाम नहीं ।

मैं दिल की बात सुनाता हूँ, सुनना चाहो तो सुन लेना
दुनिया वालो मेरा मकसद तुम्हे देना पैगाम नहीं ।

दिल झुकने को तैयार यहाँ, समझो वो स्थान खुदा का है
चूक हुई है, मंदिर-मस्जिद 'विर्क' इमारत का नाम नहीं ।

                           **********

रविवार, सितंबर 01, 2013

एक नया जख्म खाया

         जज्बाती होना ये रंग है लाया
         दर्द का मर्ज मैंने दिल को लगाया ।

                  मेरी बेबसी का ये हाल है यारो
                  हँसने की कोशिश की जब, रोना आया

         सीखा रास्ते की हर ठोकर से मगर
         हर रोज हमने एक नया जख्म खाया ।

                 पीठ पीछे तालियाँ बजा रहा था वो
                 पास आकर जिसने अफसोस जताया ।

         उधेड़बुन में हाथ से निकले दोनों
         न दुनिया हुई मेरी, न सनम पाया ।

                 नफरतों का साज बज रहा साथ इसके
                 लोगों ने ये कैसा प्रेम गीत गाया ।

         इस दुनिया पे ऐतबार न करो ' विर्क '
         इसने अक्सर शिखर पर चढ़ाकर गिराया ।

                            **********

बुधवार, अगस्त 28, 2013

पागल दिल मेरा

इसको तेरे बिन कुछ भी दिखता कब है
पागल दिल मेरा, मेरी सुनता कब है ।

कोई शख्स हसीं इसको बहका न सका
ये दिल अब और किसी को चुनता कब है ।

टूटेगा आखिर, इंसां का हश्र यही
कोई मिट्टी का पुतला बचता कब है ।

ये आशिक तेरे दर पर मरना चाहे
काबा माने बैठा है, उठता कब है ।

बस तुझको पाना ही है मकसद मेरा
बिन इसके दिल और दुआ करता कब है ।

'विर्क' भले अपना मिलना लगता मुश्किल
पर उम्मीदों का सूरज ढलता कब है ।

दिलबाग विर्क

बुधवार, अगस्त 21, 2013

दिल छोटा-सा बच्चा है शायद

सुन मीठे बोल बिका है शायद
दिल छोटा-सा बच्चा है शायद ।

दाद मिली है लोगों से मुझको
मैंने कुछ झूठ कहा है शायद ।

हर आहट चौंका देती हमको
हम सबमें चोर छुपा है शायद ।

मेरा दिल फिर बेचैन हुआ है
तूने मुझको सोचा है शायद ।

कहती है आज चमक आँखों की
कोई इंसान दिखा है शायद ।

दिल टूटे तो शोर नहीं होता
कोई शीशा टूटा है शायद ।

बहका देता इश्क जिसे भी हो
' विर्क ' तुझे भी रोग लगा है शायद ।

दिलबाग विर्क 

बुधवार, अगस्त 07, 2013

मुझे अपनी बात कहनी है

गुनाहों की दास्तां बन चुकी है खबर भी
शर्मिंदगी से जमीं में गड़ रही नजर भी । 

हालात बदलने की कोशिश तो करें हम   
इस चुप्पी से रोएगी धरा भी, अब्र भी ।

सच कहना है मुझे बुलंद आवाज में
इसके लिए मंजूर है मुझको जहर भी ।

कत्ल आदमियत का रोज कर रहे हैं लोग
शामिल हैं इसमें सब, गाँव भी, शहर भी ।

फैसले का इंतजार तुम्हें क्योंकर है
मुजरिम के हक में है मुंसिफ भी, सद्र भी ।

मुझे अपनी बात कहनी है हर हाल में
बह्र में भी कहता हूँ ' विर्क ' बेबह्र भी ।
                           ********

शुक्रवार, अगस्त 02, 2013

फैले मुहब्बत करो ये दुआ

दर्द देगी यहाँ साफगोई सदा 
सीख लो बात को तुम घुमाना जरा |

तुम गलत मानते, ये बात और है 
जो लगा ठीक मुझको वही तो कहा |

है वहीं, ढूँढना आदमी में उसे 
आदमी से जुदा कब हुआ है खुदा |

चाहिए उम्र इसको, न आसान ये 
एक दिन में नहीं पनपता फलसफा |

खूबसूरत बनेगा इसी से जहां 
' विर्क ' फैले मुहब्बत करो ये दुआ |

दिलबाग विर्क 
*********

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गुरुवार, अगस्त 01, 2013

तहजीब

साफ दिल है और सीधी बात करता हूँ
मुझे तेरे शहर की तहजीब नहीं आती ।

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