प्यार की राह पर जब चले
आँख रोए कभी दिल जले ।
दिन उगे, शाम या फिर ढले ।
गलतियाँ कुछ तेरी, कुछ मेरी
रात-दिन फिर बढ़े फासिले ।
आदमी एक से ही मिले ।
नोचते लोग कलियाँ जहाँ
फूल कोई वहाँ कब खिले ।
' विर्क ' दरपेश हैं मरहले ।
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