याद है, जाम है, शाम है
दर्द को आज आराम है ।
क्या मुहब्बत इसी को कहें
धड़कनों पर तेरा नाम है ।
दोस्ती कर रहा किसलिए
प्यार है या तुझे काम है ।
जिस्म तक रह गई सोच बस
आजकल इश्क़ बदनाम है ।
बात दिल की सुनो तो सही
गूंजता ' विर्क ' इल्हाम है ।
दिलबागसिंह विर्क
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इल्हाम - हृदय में आई ईश्वर की बात,
देववाणी, आकाशवाणी
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