शनिवार, मई 26, 2012

संवाद करो ( हाइकु )

क्षेत्र का राग 
अलापते अक्सर 
कैसे ये नेता ?

सबका गम 
महसूस करो तो 
अपना लगे ।

संवाद करो 
असहमति पर 
विवाद नहीं ।

****************

रविवार, मई 20, 2012

अग़ज़ल - 40

          उदास मत होना इतना कि दिल धडकना छोड़ दे 
      क्या कीमत है फूल की गर वो महकना छोड़ दे ।

     माना कि बहुत जालिम है सैयाद यहाँ का मगर 
     इतनी बेबसी भी क्या कि बुलबुल चहकना छोड़ दे ।

     हर किसी के नसीब में यहाँ चाँद नहीं होता 
     फिर गिला कैसा, नसीब की बात कहना छोड़ दे ।

     लम्बा सफर है जिन्दगी का, हमसफर मिलते रहेंगे 
     किसी के इन्तजार में, हर मोड़ पर रुकना छोड़ दे ।

     जो मझधार में छोड़ गए वो दोस्त ही कब थे 
     ऐसे लोगों की याद में तू दहकना छोड़ दे ।


     सिर्फ आंसू बहाना ही मकसद नहीं है जीने का 
     दिल का कहना मानकर विर्क बहकना छोड़ दे ।

                      *************                    

शनिवार, मई 12, 2012

जीवहत्या क्यों ?( हाइकु )

कस्तूरी होती 
अपने ही भीतर 
ढूंढें बाहर ।
जीवन देना 
जब वश में नहीं 
जीवहत्या क्यों ?

मेहनत को 
मानते कर्मशील 
अन्य  भाग्य को ।

अहमियत 
हार-जीत की नहीं 
कोशिश की है ।

****************

बुधवार, मई 02, 2012

जिंदगी के आघात ( कविता )

चुप रहूँ या कुछ कहूं 
दुविधा सदा रही है सामने ।

चुप रहने का अर्थ हैं -
अन्याय को होते देखना 
जो खामोश सहमति ही है 
अन्याय की ।

कुछ कहने का अर्थ है -
मुसीबतें मोल लेना 
अपना चैन खोना ।

शायद इसीलिए 
कहा जाता है जिन्दगी को 
दो धारी तलवार 
जो जख्म देती है 
आहत करती है ।

दुर्भाग्यवश 
हर आदमी 
जख्मी है 
आहत है 
इस जिन्दगी के 
आघातों से ।

********************
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...