रविवार, मई 20, 2012

अग़ज़ल - 40

          उदास मत होना इतना कि दिल धडकना छोड़ दे 
      क्या कीमत है फूल की गर वो महकना छोड़ दे ।

     माना कि बहुत जालिम है सैयाद यहाँ का मगर 
     इतनी बेबसी भी क्या कि बुलबुल चहकना छोड़ दे ।

     हर किसी के नसीब में यहाँ चाँद नहीं होता 
     फिर गिला कैसा, नसीब की बात कहना छोड़ दे ।

     लम्बा सफर है जिन्दगी का, हमसफर मिलते रहेंगे 
     किसी के इन्तजार में, हर मोड़ पर रुकना छोड़ दे ।

     जो मझधार में छोड़ गए वो दोस्त ही कब थे 
     ऐसे लोगों की याद में तू दहकना छोड़ दे ।


     सिर्फ आंसू बहाना ही मकसद नहीं है जीने का 
     दिल का कहना मानकर विर्क बहकना छोड़ दे ।

                      *************                    

8 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

वाह जनाब वाह........क्या ख़ूब कही

माना कि बहुत जालिम है सैयाद यहाँ का मगर
इतनी बेबसी भी क्या कि बुलबुल चहकना छोड़ दे ।

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत खूब...............


हर किसी के नसीब में यहाँ चाँद नहीं होता
फिर गिला कैसा, नसीब की बात कहना छोड़ दे ।
वाह!!!!

Arshad Ali ने कहा…

माना कि बहुत जालिम है सैयाद यहाँ का मगर
इतनी बेबसी भी क्या कि बुलबुल चहकना छोड़ दे ।

bahut khood bhai...
Behtareen Gazal.

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार २२ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

जो मझधार में छोड़ गए वो दोस्त ही कब थे
ऐसे लोगों की याद में तू दहकना छोड़ दे ।
..................बहुत खूब.

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

हर किसी के नसीब में यहाँ चाँद नहीं होता
फिर गिला कैसा, नसीब की बात कहना छोड़ दे ।

बहुत बढ़िया...

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

क्या कहने...
शानदार....:-)

ZEAL ने कहा…

माना कि बहुत जालिम है सैयाद यहाँ का मगर
इतनी बेबसी भी क्या कि बुलबुल चहकना छोड़ दे ...

Awesome !!!!

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