दर्द औरों का बँटाना जानते
काश ! यारी हम निभाना जानते।
इस तरफ हैं वो कभी उस ओर हैं
लोग बस नारे लगाना जानते ।
खो गया विश्वास यारो क्या करें
सब यहाँ पर आजमाना जानते ।
दर्द की कोई दवा देते नहीं
हुस्नवाले दिल जलाना जानते।
ईंट-पत्थर के मकां, लो बन गए
काश ! घर कोई बनाना जानते।
हो पसीने की महक जिसमें भरी
क्यों नहीं ऐसे कमाना जानते।
बेवफा कहता न फिर कोई हमें
' विर्क ' जो आँसू बहाना जानते ।
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