शुक्रवार, अगस्त 02, 2013

फैले मुहब्बत करो ये दुआ

दर्द देगी यहाँ साफगोई सदा 
सीख लो बात को तुम घुमाना जरा |

तुम गलत मानते, ये बात और है 
जो लगा ठीक मुझको वही तो कहा |

है वहीं, ढूँढना आदमी में उसे 
आदमी से जुदा कब हुआ है खुदा |

चाहिए उम्र इसको, न आसान ये 
एक दिन में नहीं पनपता फलसफा |

खूबसूरत बनेगा इसी से जहां 
' विर्क ' फैले मुहब्बत करो ये दुआ |

दिलबाग विर्क 
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1 टिप्पणी:

moulshree kulkarni ने कहा…

बेहतरीन.....एक उम्दा प्रस्तुति

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