ऊँची उड़ान चाहे मेरी आस साकिया
ये चोटियाँ बुला रही हैं पास साकिया |
तू बार-बार ऐसे मेरा इम्तिहां न लें
कमतर नहीं किसी से मेरी प्यास साकिया |
चखकर मिले सदा, यार इस इश्क का मजा
तू चूक जाएगा, लगा न कयास साकिया |
सबको पिला रहा जाम, कुछ भी न पूछता
गम का न हो रहा तुझे अहसास साकिया |
कुछ और ही निकलता है भीतर से आदमी
गहरा उतर यहाँ, देख न लिबास साकिया |
देती सकून, ख़ाक उड़े जो तेरी गली
है ' विर्क ' के लिए तेरा दर ख़ास साकिया |
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