हर सू , हर शै में हमको वो दिखते हैं
जब भी दिल जुड़ते, नैन मिला करते हैं ।
इश्क़ किया जाता कैसे, सुन लो यारो
कुछ तो कहते परवाने, जब जलते हैं ।
किसमें दम इतना, कौन मुकाबिल तेरे
चाँद - सितारे तेरा पानी भरते हैं ।
पीने वाले बदनाम हुए हैं नाहक
वो आँखों में मैखाने लिए फिरते हैं ।
यूँ लगता है, तेरे गेसू हों जैसे
जब पगलाने वाले बादल घिरते हैं ।
दर्द बँटा लेते हैं जब हम औरों का
जीवन में विर्क खुशी के गुल खिलते हैं ।
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7 टिप्पणियां:
बेहद सुन्दर रचना | जय हो |
वाह...बहुत ही अच्छी और भावपूर्ण रचना.....बधाई....
बहुत सुंदर भाव ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (26-12-13) को चर्चा - 1473 ( वाह रे हिन्दुस्तानियों ) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत खूबसूरत....वंदे मातरम्: थकान
अच्छी भावात्मक प्रस्तुति है !
अच्छी भावात्मक प्रस्तुति है !
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