बुधवार, अगस्त 12, 2015

तू मुझको सुन

मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन 
सच का तराना गाए सदा, धड़कन की धुन । 
आँसुओं में लय-ताल है 
हँसी का भी संगीत है 
ग़म मिले या फिर ख़ुशी 
गाया सदा गीत है 
जज़्बात होंगे, न हों भले बह्र के रुकुन 
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन । 
तू जीत पर रख नज़र 
हार से मत हारना 
ज़िंदगी का ले मज़ा 
नहीं ख़ुद को मारना 
काँटों की चुभन सह ले, और फूल चुन 
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन । 
बीते पल न लौटते 
बीता वक़्त भूल जा 
तू कर शुरुआत नई 
लेकर इरादा नया 
सोच बात नई उड़ान की, नए ख्बाव बुन 
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन । 

दिलबाग विर्क 
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मेरे और कृष्ण कायत जी द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " से 
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