मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन
सच का तराना गाए सदा, धड़कन की धुन ।
आँसुओं में लय-ताल है
हँसी का भी संगीत है
ग़म मिले या फिर ख़ुशी
गाया सदा गीत है
जज़्बात होंगे, न हों भले बह्र के रुकुन
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन ।
तू जीत पर रख नज़र
हार से मत हारना
ज़िंदगी का ले मज़ा
नहीं ख़ुद को मारना
काँटों की चुभन सह ले, और फूल चुन
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन ।
बीते पल न लौटते
बीता वक़्त भूल जा
तू कर शुरुआत नई
लेकर इरादा नया
सोच बात नई उड़ान की, नए ख्बाव बुन
मेरे अल्फ़ाज़ों पर न जा, तू मुझको सुन ।
दिलबाग विर्क
*****
मेरे और कृष्ण कायत जी द्वारा संपादित पुस्तक " सतरंगे जज़्बात " से