बुधवार, नवंबर 18, 2015

सहने की सीमा के बाद

ये न सोचो
क़लम चलाने वाले हाथ
बंदूक चलाना नहीं जानते

जानते हैं क़लम चलाने वाले
बंदूकों से हल नहीं होते मसले
बस यही सोच
बंदूक उठाने से रोकती है उन्हें
मगर इसे कमजोरी न समझना
किसी भी क़लम चलाने वाले की

याद रखना
सहने की सीमा होती है
और सीमा गुजरने के बाद
ट्रिगर दबाना 
कहीं आसान होता है
क़लम चलाने से ।
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दिलबाग सिंह विर्क