गुरुवार, दिसंबर 31, 2015

कुछ तो नया करो

नए साल में यारो कुछ तो नया करो 
फिजा सुधरे इस देश की, तुम दुआ करो | 

बड़ी खूबसूरत लगेगी ये जिंदगी 
मुहब्बत को समझो, वफ़ाएँ किया करो | 

सिखाती सदा ठोकरें चलने का हुनर 
गिरो जब कभी, हौंसले से उठा करो | 

न बोलो कभी झूठ, ये जीतता नहीं 
हो मुश्किल भले, राह सच की चला करो | 

करे जो, भरे वो, यही तो नियम सदा 
यही सोच हो ' विर्क ' , बस ख़ुद वफ़ा करो | 

दिलबागसिंह विर्क 
******

बुधवार, दिसंबर 02, 2015

प्रीत की रीत

चाहत पर होना कुर्बान, प्रीत की रीत है 
इस खेल का हाल अनोखा, हार तो जीत है । 
आँख शरारत करती है 
और सज़ा दिल पाता है 
देता मक़सद जीने का 
पर पागल कहलाता है 
पागल की सुन यार मेरे, यही तो मीत है

दौलत के अंबार लगे 
ख़ुशी रही बनकर सपना 
मतलब के हैं यार बहुत 
नहीं मगर कोई अपना 
हिसाब लगाओ तुम उसका, गई जो बीत है 

दिल सोचे बस प्यारे को 
सूखा हो चाहे सावन 
देह से न जोड़ो इसको 
प्यार सदा होता पावन 
नाचो संग ताल मिलाकर, प्रेम संगीत है 

© दिलबागसिंह विर्क 
****** 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...