बुधवार, फ़रवरी 27, 2019

दाद देना जुगनुओं की हिम्मत को


अब क्या कहेंगे आप, इस आदत को
ग़लतियाँ ख़ुद की, कोसा क़िस्मत को।
 
तमाम चीजें बेलज़्ज़त हो गई
पाया जिसने इश्क़ की लज़्ज़त को।

ये एक दिन घर तुम्हारा जलाएगी
दोस्तो, न हवा देना इस नफ़रत को।

अपने वुजूद से फैलाएँ रौशनी
दाद देना जुगनुओं की हिम्मत को।

पत्थर पिघलाने की ताक़त है इसमें
आज़माना विर्ककभी मुहब्बत को।

दिलबागसिंह विर्क 
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