खामोश
तन्हा
चल रहा है
जिन्दगी का सफर ।
मौसम बदल रहे हैं
दिन बीत रहे हैं
वक्त गुजर रहा है
आहिस्ता-आहिस्ता ।
तय हो रही हैं
बहुत-सी दूरियां
हासिल किए जा रहे हैं
नए-नए मुकाम
स्थापित हो रही हैं
नई-नई मान्यताएं
हर दिन , हर पल ।
यही जिन्दगी है
यही जिन्दगी का सफर है
जो चल रहा है
चुपके-चुपके
आहिस्ता-आहिस्ता ।
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