खामोश
तन्हा
चल रहा है
जिन्दगी का सफर ।
मौसम बदल रहे हैं
दिन बीत रहे हैं
वक्त गुजर रहा है
आहिस्ता-आहिस्ता ।
तय हो रही हैं
बहुत-सी दूरियां
हासिल किए जा रहे हैं
नए-नए मुकाम
स्थापित हो रही हैं
नई-नई मान्यताएं
हर दिन , हर पल ।
यही जिन्दगी है
यही जिन्दगी का सफर है
जो चल रहा है
चुपके-चुपके
आहिस्ता-आहिस्ता ।
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12 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर...
१००वीं पोस्ट कविता होनी ही थी.....
अनंत शुभकामनाएँ..........
अनु
यही जिन्दगी है
यही जिन्दगी का सफर है
जो चल रहा है
चुपके-चुपके
आहिस्ता-आहिस्ता ।
.........वाह...बहुत सार्थक रचना..शब्द शब्द बाँध लेता है ...बधाई स्वीकारें
100 पोस्ट के बहुत बहुत बधाई विर्क जी
बहुत-सी दूरियां
हासिल किए जा रहे हैं
चंद पंक्तिया.....भावों से नाजुक शब्द....!!
मेरी टिप्पणी स्पाम से खोज लाइए.....
फिर भी दोबारा शुभकामनाएँ प्रेषित करती हूँ...
सैंकड़ा लगाने के लिए बधाई!!
100वीं पोस्ट की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
--
अन्तर्राष्ट्रीय मूर्खता दिवस की अग्रिम बधायी स्वीकार करें!
100 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई।
सुंदर रचना...
100 वीं पोस्ट की सादर बधाई...
बस ये सफर यूं ही चलता रहे भले ही आहिस्ता आहिस्ता ...100 वीं पोस्ट के लिए बधाई
100 वीं पोस्ट के बहुत बहुत बधाई .....
१०० वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई ... ये सफर यूं ही चलता रहे .. खुशियाँ मिलती रहें ...
ये सफर यूँ ही चलता रहे .....हम सब की शुभकामनाएँ आपके साथ हैं
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