छूटता जा रहा है हंसते - खेलते जीने का फलसफा
सियासत की छोडो, अब मोहब्बत में भी मिलता है दगा ।
दस्तूर इस जमाने के देखकर बड़ा हैरान हूँ मैं
पास-पास रहने वाले लोगों में है कितना फासिला ।
चेहरा जिसका मासूम था , लगता था जो बड़ा भला ।
चलो एक और आदमी की असलियत से हुए वाकिफ
ये कहकर समझाया दिल को, जब मिला कोई बेवफा ।
प्यार खुशियाँ देगा , ये वहम तो कब का उड़ चुका है
अब देखना ये है , मैं कब तक निभाता रहूँगा वफा ।
बड़ा गम उठाया है मैंने विर्क हकीकत बयाँ करके
क्या मिला बोलकर, अब तो सोचता हूँ क्यों न चुप रहा ।
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