HOME
FACEBOOK
My YouTube Channel
मेरी पुस्तकें
मेरे बारे में
चंद आँसू, चंद अल्फ़ाज़ ( कविता संग्रह )
बुधवार, अक्तूबर 24, 2012
रावण ( तांका )
बुत्त जलता
दशहरे के दिन
रावण नहीं
रावण तो जिन्दा है
हमारे ही भीतर ।
जिन्दा रखते
भीतर का रावण
और बाहर
जलाते हैं पुतले
धर भेष राम का
************
1 टिप्पणी:
Vandana Ramasingh
ने कहा…
जिन्दा रखते
भीतर का रावण
और बाहर
जलाते हैं पुतले
धर भेष राम का
सच है
अक्तूबर 29, 2012 7:12 am
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
जिन्दा रखते
भीतर का रावण
और बाहर
जलाते हैं पुतले
धर भेष राम का
सच है
एक टिप्पणी भेजें