देखो बिन बुलाए यह उम्र भर का मेहमां हो गया ।
तन्हा थे उस दिन जब सोची थी मुहब्बत की बात
धीरे-धीरे अब साथ अश्कों का कारवां हो गया ।
मैं पागल था जो सरेआम कह बैठा चाँद उन्हें
और उन्हें मेरी इसी बात का गुमां हो गया ।
क्या करें, सदा मेरी अब उन तक पहुंचती ही नहीं
चंद दिनों में ही वो दूर होकर कहकशां हो गया ।
कभी हल्का-ए- गिर्दाब से निकाल लाए थे कश्ती
मगर आज हवा का हल्का-सा झोंका तूफां हो गया ।
तन्हाइयों में बैठकर विर्क अब सोचते हैं अक्सर
ख़ुशी क्यों न मिली, क्यों हर यत्न रायगां हो गया ।
दिलबाग विर्क
*********
गुमां - घमंड
कहकशां - आकाश गंगा
हल्का-ए- गिर्दाब - भंवर की परिधि
रायगां - निष्फल
********