ये न सोचो
क़लम चलाने वाले हाथ
बंदूक चलाना नहीं जानते
जानते हैं क़लम चलाने वाले
बंदूकों से हल नहीं होते मसले
बस यही सोच
बंदूक उठाने से रोकती है उन्हें
मगर इसे कमजोरी न समझना
किसी भी क़लम चलाने वाले की
याद रखना
सहने की सीमा होती है
और सीमा गुजरने के बाद
ट्रिगर दबाना
कहीं आसान होता है
क़लम चलाने से ।
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दिलबाग सिंह विर्क
5 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (19-08-2020) को "हिन्दी में भावहीन अंग्रेजी शब्द" (चर्चा अंक-3798) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सुन्दर सृजन
सुंदर सत्य
अद्भुत !
सुन्दर सृजन.
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