बुधवार, मार्च 18, 2020
बुधवार, मार्च 11, 2020
ज़िंदगी
जीवन
उथले पानी में
बीता है
जीवन सारा
और अक्सर
हमने बात की है
गोताखोरी की
****
ज़िंदगी – 1
पक्षियों का कलरव
भँवरों का गुंजार
फूलों का खिलना
हवा का चलना
है ज़िंदगी
यह अर्थ नहीं रखती
महज काटने में
इसे तो जीया जाता है
चहककर
महककर
****
ज़िंदगी – 2
ज़िंदगी की परतों के
भीतर ही कहीं
छुपी रहती ज़िंदगी
जैसे छुपा हो
हारिल कोई
हरे पत्तों के बीच
****
सदस्यता लें
संदेश (Atom)