सोमवार, अगस्त 26, 2024

अर्जुन विषाद योग ( भाग - 1 )

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दोहे 

धर्म क्षेत्र कुरु क्षेत्र में, कैसा मचा बवाल । 
राजा संजय से कहे, मुझे सुनाओ हाल ।। 1।।

दिव्य दृष्टि से देखता, संजय पा आदेश । 
कौरव-पांडव सब खड़े, धर वीरों का भेष ।। 2।।

सेनाएँ हैं सामने, लड़ने को तैयार। 
बड़े भयानक दृश्य का, होता है दीदार ।। 3।।

युवराज कहे द्रोण से, सेना बड़ी विशाल। 
देखो ! द्रुपद पुत्र रचे, व्यूह बड़ा विकराल ।। 4।।

उनकी सेना में खड़े, काशीराज महान। 
धृष्टकेतु है सामने, पीछे चेकीतान।। 5।।

पाँचों पांडव हैं खड़े, अस्त्र-शस्त्र ले हाथ। 
वीर पिता समतुल्य जो, पुत्र खड़े हैं साथ ।। 6।।

अर्जुननंदन भी खड़ा, योद्धा खड़े अनेक ।
कृष्ण बना रथवान है, रणजेता  प्रत्येक ।। 7 ।।
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पुस्तक - गीता दोहवली

8 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

क्या सुंदर लिखा है आपने ,लाज़वाब आगे की कड़ियों की प्रतीक्षा रहेगी।
जय श्रीकृष्ण।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २७ अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

बहुत बेहतरीन लिखा आपने।बधाई

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

एक लंबे समयांतराल पर | सुन्दर

Onkar ने कहा…

अति सुंदर

Dr. Dilbag Singh Virk ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय

Dr. Dilbag Singh Virk ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय

Dr. Dilbag Singh Virk ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय

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